Sunday 6 September 2015

सोशल मीडिया के जरिये उत्तरप्रदेश में इस्लामिक स्टेट की घुसपैठ

लखनऊ – सोशल मीडिया के जरिए उत्तर प्रदेश के युवाओं को गुमराह करने के लिए इस्लामिक स्टेट (आइएस) की मीडिया विंग तमाम हथकंडे अपना रही है। आइएस की ओर से वीडियो क्लिप से लेकर उत्तेजक संदेशों के जरिये अपने अभियान में छात्रों और युवाओं की रुचि पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
एक खुफिया सर्वे में यह बात सामने आयी कि उत्तर प्रदेश में सोशल मीडिया के जरिए आइएस सक्रिय हो रहा है। अन्य जिहादी गुटों की तरह ट्विटर व यू-ट्यूब से लेकर कई नेटवर्क पर आइएस की गतिविधियों का प्रचार देखने को मिला और इनके समर्थकों की संख्या भी बढ़ी।
हाल के कुछ दिनों में ऐसे अकाउंट्स पर सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती के बाद इनके द्वारा गोपनीय अभियान भी शुरू किए गए हैं। कुछ समय पूर्व केंद्रीय गृह मंत्रालय की बुलाई बैठक में प्रदेश के डीजीपी जगमोहन यादव और एटीएस के आइजी राम कुमार को आइएस की ऐसी हरकतों से ही आगाह किया गया।
सूत्रों का कहना है कि आइएस समर्थकोंने अपने प्रचार के लिए बड़े हिंदू नेताओं के इलाकों को विशेष रूप से चिह्नित किया है जिससे कि वहां विपरीत विचारधारा के युवाओं को भडकाया जा सके। इसमें उन्नाव, गोरखपुर और फतेहपुर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन जिलों में आइएस समर्थकों की संख्या बढ रही है। इसके अलावा नेपाल सीमा से सटे प्रदेश के सात जिलों महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, खीरी और पीलीभीत का भी नाम शामिल है।
यहां वैचारिक रूप से युवाओं को आइएस के प्रति समृद्ध करने की योजना है ताकि नेपाल सीमा से घुसपैठ के दौरान आइएस समर्थकों को शरण और सहयोग मिल सके। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो दर्जन अन्य जिले भी इसी श्रेणी में हैं। इनमें आजमगढ़, मऊ, इलाहाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, सहारनपुर, शामली, गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर शामिल हैं।
इंटेलीजेंस ब्यूरो ने गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद के शैक्षणिक संस्थानों में विदेश से आकर पढ़ने वाले युवाओं पर भी नजर रखने की विशेष हिदायत दी है।

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