Wednesday 10 August 2016

है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़

सब फ़लसफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे-हिन्द
ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर
रिफ़अत में आस्मां से भी ऊंचा है बामे-हिन्द
इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त
मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द
है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़
अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द
एजाज़ इस चिराग़े-हिदायत का है
यही रोशन तिराज़ सहर ज़माने में शामे-हिन्द
तलवार का धनी था, शुजाअत में फ़र्द था
पाकीज़गी में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था
सब फ़लसफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे-हिन्द

ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर

रिफ़अत में आस्मां से भी ऊंचा है बामे-हिन्द

इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त

मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द

है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़

अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द

एजाज़ इस चिराग़े-हिदायत का है

यही रोशन तिराज़ सहर ज़माने में शामे-हिन्द

तलवार का धनी था, शुजाअत में फ़र्द था


पाकीज़गी में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था

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